ज़िन्दगी क़तार नहीं है जो ब्रह्माण्ड के एक छोर से दूसरे छोर तक मज़बूती से पाँव जमाए खड़ी रहे,
आएगी मृत्यु बग़ैर आहट दबे पाँव टूट जाएगी ज़िन्दगी की क़तार बड़ी सरलता से स्वतः ही ।
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