Music By: मेहदी हसन
Lyrics By: अहमद फ़राज़
Performed By: मेहदी हसन
अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिले
जिस तरह सूखे हुए फूल किताबों में मिले
ढूँढ उजड़े हुए लोगों में वफ़ा के मोती
ये खजाने तुझे मुमकिन है खराबों में मिले
तू खुदा है, न मेरा इश्क फरिश्तों जैसा
दोनों इंसान हैं तो क्यों इतने हिजाबों में मिले
ग़म-ए-दुनिया भी ग़म-ए-यार में शामिल कर लो
नशा बहता है शराबों में तो शराबों में मिले
अब लबों में हूँ न तू है न वो माज़ी है फ़राज़
जैसे तुम/वो साये तमन्ना के सराबों में मिले
Lyrics By: अहमद फ़राज़
Performed By: मेहदी हसन
अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिले
जिस तरह सूखे हुए फूल किताबों में मिले
ढूँढ उजड़े हुए लोगों में वफ़ा के मोती
ये खजाने तुझे मुमकिन है खराबों में मिले
तू खुदा है, न मेरा इश्क फरिश्तों जैसा
दोनों इंसान हैं तो क्यों इतने हिजाबों में मिले
ग़म-ए-दुनिया भी ग़म-ए-यार में शामिल कर लो
नशा बहता है शराबों में तो शराबों में मिले
अब लबों में हूँ न तू है न वो माज़ी है फ़राज़
जैसे तुम/वो साये तमन्ना के सराबों में मिले